महाराष्ट्र में 90 साल पुरानी एक दवा पर रिसर्च की जा रही है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके नतीजे अभी तक अच्छे बताए जा रहे हैं.
- कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने की कोशिश
- 90 साल पुरानी दवा के क्लीनिकल टेस्ट की इजाजत
कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत में भी इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इस बीच मुंबई से एक अच्छी खबर आई है. यहां एक 90 साल पुरानी दवा के क्लीनिकल टेस्ट की इजाजत दी गई है.
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महाराष्ट्र में 90 साल पुरानी एक दवा पर रिसर्च की जा रही है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके नतीजे अभी तक अच्छे बताए जा रहे हैं. अब इस दवा के क्लीनिकल टेस्ट करने की इजाजत मिल गई है. पुणे के एक इंस्टिट्यूट मे इसका क्लीनिकल ट्रायल मरिजों पर किया जाएगा.
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मुंबई के परेल स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट में इस दवाई पर रिसर्च की जा रही है. ये वैक्सीन BCG यानी Bacillus Calmette-Guerin है. इस वैक्सीन को बनाने में 1908 से 1921 के बीच 13 साल का वक्त लगा था. फ्रैंच बैक्टीरियालॉजिस्ट अल्बर्ट काल्मेट और कैमिल गुरीन ने मिलकर इसे बनाया था. अब तक बीसीजी का इस्तेमाल टीबी के मरीजों के लिए किया जाता है. लेकिन नतीजे बेहतर रहे तो कोविड-19 के खिलाफ भी ये वैक्सीन बड़ा हथियार बन सकती है.
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